"आनंद डोह ... "
आम्हा श्रेष्ठत्वाचा कधीच नाही मोह, चार ओळीने व्यापतो आमचा "आनंद डोह ..."
Thursday, November 24, 2011
कोई अफसोस क्यू करे, जो हम रहे न रहे...
उधारकी थी जिंदगी .... उधार खर्च हो गयी ...
---- विशाल
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment