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Friday, September 15, 2017

लाजून हासणे - शरमाके मुस्कुरायें

लाजून हासणे अन हासून ते पहाणे
मी ओळखून आहे, सारे तुझे बहाणे

डोळयांस पापण्यांचा का सांग भार व्हावा?
मिटताच पापण्या अन् का चंद्र ही दिसावा?
हे प्रश्न जीवघेणे हरती जिथे शहाणे

हाती धनुष्य ज्याच्या, त्याला कसे कळावे
हृदयात बाण ज्याच्या, त्यालाच दुःख ठावे
तिरपा कटाक्ष भोळा, आम्ही इथे दिवाणे

जाता समोरुनी तू, उगवे टपोर तारा
देशातूनी फुलांच्या आणी सुगंध वारा
रात्रीस चांदण्यांचे, सुचते सुरेल गाणे

                                                                           - मंगेश पाडगावकर




शरमाके मुस्कुरायें यू हसके देखे हाए
मै जानता हू जालीम सारी तेरी अदाए

बोझलसी लग रही है पलके निगाहोपर क्यूँ
उतरे क्यूँ चांद इनमे जबभी मै नैन मूंदू
ये सवाल जानलेवा जो बुझे सो मात खाए

घायल का हाल क्या है जाने भला क्या कातिल
जिसने है तीर खाए, ये दर्द समझे वो दिल
तिरछी नजर ये हमको दिवाना करके जाए

गुजरे तू सामनेसे खिल जाए तारे हर-सू
बहार-ए-चमनसे लेके आए पवन ये खुशबू
इक गीत चांदनीका फिर रात गुनगुनाए

                                                                                 - विशाल (१५/०९/२०१७)

Monday, June 13, 2016

तर्क - ए - मय ही समझ इसे नासेह
इतनी पी है कि पी नही जाती
--- शकील बदायुनी



समज हेच कि आहे दिली मी सोडूनी दारू
पिली आधीच एवढी आता अजुनी पिणे नाही
--- विशाल