"आनंद डोह ... "
आम्हा श्रेष्ठत्वाचा कधीच नाही मोह, चार ओळीने व्यापतो आमचा "आनंद डोह ..."
Sunday, November 20, 2011
वो क्या जाने जालीम, क्या होता है राह देखना ...
वहा बिते पल दो पल... यहा जमाने गुजर गये ...
----- विशाल
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