Thursday, November 24, 2011

कोई अफसोस क्यू करे, जो हम रहे न रहे...
उधारकी थी जिंदगी .... उधार खर्च हो गयी ... 
---- विशाल 

Wednesday, November 23, 2011




वो आगाज करते है... उसी अन्दाजमे लेकीन...
हमही है जो मुस्कुराना भूल गये शायद ...
---- विशाल 

Sunday, November 20, 2011


वो क्या जाने जालीम, क्या होता है राह देखना ...

वहा बिते पल दो पल... यहा जमाने गुजर गये ...
----- विशाल 

Thursday, November 17, 2011

   "मी" ...
   तिच्या आठवणीत ...
   मी वळतानाही
   अन पळतानाही ...

   "ती" ...
   किती सुंदर ...
   ती छळतानाही 
   अन जाळतानाही ...
   ----विशाल