"आनंद डोह ... "
आम्हा श्रेष्ठत्वाचा कधीच नाही मोह, चार ओळीने व्यापतो आमचा "आनंद डोह ..."
Thursday, December 22, 2011
सीनेमे सुलग उठे थे कुछ अरमान इस तरह ,
के हो गयी गलती आखिर थे तो इन्सान हम,
पर दिलकी बातोंको समझे ऐसा नही मिला कोई,
जहा गये गम लेके ........ बस नसीहत मिली ....
---- विशाल
Monday, December 12, 2011
आहमे आग दहके फिर कहना दिल टूटा है...
दिलमे लोहा पिघले फिर कहना दिल टूटा है...
आना जाना आंखसे पानी यू तो लगा ही रहता है
जब अश्कसे खून निकले फिर कहना दिल टूटा है...
---- विशाल
Thursday, December 8, 2011
पास थे फिरभी पराये थे मगर
शायद तन्हाई थी जो असर कर गयी
अंधेरे नही सताते है अब उस तरह
उन्हे याद करतेही चिरागसे जल जाते है .....
----- विशाल
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