"आनंद डोह ... "
आम्हा श्रेष्ठत्वाचा कधीच नाही मोह, चार ओळीने व्यापतो आमचा "आनंद डोह ..."
Thursday, December 22, 2011
सीनेमे सुलग उठे थे कुछ अरमान इस तरह ,
के हो गयी गलती आखिर थे तो इन्सान हम,
पर दिलकी बातोंको समझे ऐसा नही मिला कोई,
जहा गये गम लेके ........ बस नसीहत मिली ....
---- विशाल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment