Wednesday, July 6, 2016

कोई नहीं यहांपे होश-ओ-हवासोमे, आधे सांजोमे गये और आधे नमाजोमे
दिलपे गुजरी है तो फिर दिलकी ही बोली बोलो, क्या रक्खा है चंद उधार के अल्फाजोमे

-- विशाल

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