"आनंद डोह ... "
आम्हा श्रेष्ठत्वाचा कधीच नाही मोह, चार ओळीने व्यापतो आमचा "आनंद डोह ..."
Wednesday, November 16, 2011
"इट का जवाब
हमभी पत्थरसे देना जानते थे मगर ...
हाथ उठा नही के हाय ... जालीमने मुस्कुरा दिया ... "
------- विशाल
Tuesday, November 15, 2011
क्या बताए उनको के दिल भर गया है कितना ..
अब हातसे खालीभी पैमाने छलकते है ....
----- विशाल
Saturday, November 12, 2011
किती अजाण तू किती निरागस परे जगाच्या परी,
बाळबोध शंका तुझ्या मला भंडावूनी गेल्या ...
गोंधळात टाकून अशी मज खुशाल हसलीस गाली,
जुन्या कहाण्या हृदयात किती डोकावुनी गेल्या ...
-----------विशाल
तेरी यादके सिवा याद करनेके लिये दुनियामे है ही क्या ...
ये मै बस सोचही रहा था.....
के फिर तेरी याद आ गयी ...
----- विशाल
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