आम्हा श्रेष्ठत्वाचा कधीच नाही मोह, चार ओळीने व्यापतो आमचा "आनंद डोह ..."
आदमीका वक्त बुरा हो मगर इतनाभी नही गालिब की हम चुहा मारना चाहते हो और तू नजर आ जाये - विशाल
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